Rotavirus gestroenteritis in hindi रोटा वायरस के लक्षण और इलाज़

दिन में 3 बार से अधिक पसले दस्त होना और 3-7 दिनों तक होते रहना- दस्त की बीमारी कहलाती है। कई बार पानी जैसे पतले दस्त जाने से शरीर में पानी की कमी (Dehydration) उत्पन्न हो जाती है। जिसको दूर ना किया जाए तो व्यक्ति या बच्चा गंभीर स्थिति में पहुँच जाता है और यहाँ तक कि उसे इलाज ना मिलने पर मृत्यु भी हो सकती है। अक्सर दस्त के साथ उल्टियाँ श्री होती हैं। इस स्थिति को आंत्रशोथ (Gestroenteritis) कहते हैं। rotavirus रोग में आँतों में भी सूजन आ जाती है।

रोग का कारण rotavirus cause of disease

वैसे तो यह बीमारी कई तरह के जीवाणु (Bacteria) और विषाणुओं (virus) तथा एककोशीय जीवों द्वारा होती है। लेकिन अधिकतर मामलों में ( 25 से 50 प्रतिशत ), विशेषकर बच्चों में रोटा विषाणु rotavirus ही इस रोग को उत्पन्न करते हैं। यह विषाणु आर. एन. ए. प्रकार का होता है। इसके अलावा अन्य कई विषाणु और जीवाणु तथा अमीबा जैसे एक कोशिय जीव भी दस्त की बीमारी उत्पन्न करते हैं। लेकिन हम यहाँ सबसे खतरनाक रोटा वायरस द्वारा उत्पन्न आंत्रशोथ (Gestroenteritis) की ही चर्चा करेंगे। rota virus सन् 1973 में खोजा गया। यह विषाणु 5 वर्ष से नीचे के बच्चों में अक्सर गंभीर पानी की कमी को उत्पन्न करता है। जिससे बच्चों की जान को खतरा उत्पन्न हो जाता है। एक अनुमान के अनुसार लगभग पौने तीन करोड़ रोगी विश्व में प्रतिवर्ष इस विषाणु द्वारा उत्पन्न आंत्रशोथ की चपेट में आ जाते हैं। प्रायः हर बच्चे को 5 वर्ष से कम उम्र (अक्सर 3 वर्ष) में यह रोटा वायरस अपना शिकार बनाता है और बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ जाती है। कभी-कभी एड्स रोगी भी रोटा वायरस, दस्त की बीमारी उत्पन्न करता है। लेकिन अन्य वयस्क रोगियों में यह विषाणु दस्त की बीमारी तो उत्पन्न करता है वयस्क रोगियों में यह virus दस्त की बीमारी तो उत्पन्न करता है परंतु वह साधारण प्रकार की होती है जबकि 5 और 3 वर्ष के आस पास की उम्र के बच्चों में यह virus गंभीर स्थिति में पहुँच जाता है। ऐसा छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी के कारण होता है।

रोटा वायरस का शरीर में रोल role of rotavirus in the body

यह विषाणु पेट की आँतों में पहुँचकर आँतों की बाहरी संरचनाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है। इस कारण भोज्य पदार्थों का आँतों द्वारा अवशोषण (Absorption) नहीं हो पाता और आँतों की अधिक गति शीलता के कारण उल्टी ( Vomitting ), दस्त ( lose motion) की बीमारी उत्पन्न हो जाती है एवं आँतों में सूजन भी आ जाती है।

रोग की जटिलताएँ rotavirus complications

rotavirus अलग-अलग रोगियों में साधारण से लेकर गंभीर तरह की दस्त (Lose motion) की बीमारी उत्पन्न करता है इस कारण बच्चों या बड़ों के शरीर में पानी की कमी उत्पन्न करता है। इस रोग का 05 वर्ष से नीचे की उम्र के बच्चों पर प्रभाव अधिक होता है और समय पर इलाज ना किया जाए तो मृत्यु तक हो सकती है।

शरीर में पानी की कमी के अलावा कुछ श्वसन संस्थान की बीमारियाँ जैसे निमोनिया, मस्तिष्क शोच और सिड्स (Sudden Infant Death) जैसी बीमारियाँ भी उत्पन्न करता है। सिड्स रोग में छोटे शिशुओं की अचानक मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा रोटा वायरस द्वारा आँतों की कई गंभीर बीमारी भी उत्पन्न हो सकती हैं। अतएव इस रोग को पहचान कर शीघ्र इलाज जरूरी होता है।

रोग के लक्षण symptoms of rotavirus

बीमारी के शुरूआती लक्षण में 80% छोटे बच्चों में शुरू में उल्टियाँ होती हैं, फिर में दस्त लगते हैं। साथ ही बुखार भी आ जाता है। और शरीर का तापक्रम 30°C या 102.2F तक रहता है। लगभग 15% मामलों में दस्ता के साथ थोड़ी मात्रा में रक्त कोशिकाएँ भी जा सकती हैं।

रोग की पहचान diagnosis of rotavirus

इस रोग में, अक्सर दस्तों द्वारा मल की अधिक मात्रा निकलती है। प्रयोगशाला में मल का परीक्षण कर भी इसकी पहचान की जाती है। पी. सी. आर. (PC.R.) नामक जाँच से भी रोग की पहचान या निदान निश्चिततौर पर हो जाती है।

रोग का इलाज rotavirus treatment

(1) जिंक देने से भी दस्तों में कमी आतो है। अतएव विश्व स्वास्थ्य संगठन 10 से 14 दिन तक बच्चों को जिंक (10 मि.ग्रा. प्रतिदिन) देने की सलाह देता है।
(2) शरीर में पानी की कमी को अधिकतर मामलों में मुख द्वारा जीवन रक्षक घोल (O.R.S.) पिलाकर पूरा किया जाता है और बहुत कम मामलों में अंतर्शिराओं द्वारा सेलाइन इत्यादि देने की जरूरत पड़ती है। लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ को अवश्य दिखला देना चाहिए और अनावश्यक रूप से रोग प्रतिरोधक दवाएँ देने से बचना चाहिए।

rotavirus Preventions रोग से बचाव

बच्चों और परिवार के सदस्यों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था करें। घरों में साफ-सफाई जरूरी है। साथ ही घरों में आधुनिक शौचालय हों यह भी जरूरी है। मक्खियों पर नियंत्रण भी रोग से बचाव की दिशा में बड़ा कदम है। खाने-पीने की सामग्री ढककर रखें। रोटा वायरस, रोगी के मल और उल्टी में अत्यधिक मात्रा में कई दिनों तक मौजूद होते हैं अतएव अन्य बच्चों को इनके संपर्क से बचाना चाहिए। रोग से बचाव के लिए साफ-सफाई अत्यंत आवश्यक है तथा घरों में गंदे पानी के निकास की उचित व्यवस्थाएँ होनी चाहिए।

rotavirus vaccine रोग का टीका

बच्चों को रोग से बचाव के लिए सन 1999 में अमेरिका में जो वैक्सीन बनाई गई थी उसे 1 वर्ष बाद आँतों में जटिलताओं की वजह से बाजार में बिक्री के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। फिर सन 2006 में रोटारिक्स नामक वैक्सीन और रोटाटेक नामक वैक्सीन भी आई जो मुख द्वारा (Oral) दी जाती है।

rotarix vaccine छोटे शिशुओं को 2 महीने और 4 महीने में पिलाई जाती है। जबकि रोटाटेक नामक वैक्सीन की तीन मात्राएँ दूसरे, चौथे और छठवें माह में शिशुओं को पिलाते हैं। इन टीकों (वैक्सिनेशन) को 12 वें सप्ताह में देने पर आँतों की जटिलताओं का खतरा फिर भी बना रहता है। इसलिए अभी तक वैक्सीन देने की सही उम्र निश्चित नहीं की जा सकी है। rotavirus vaccine के लिए शिशु रोग विशेषज्ञ से भी सलाह लें।

shelendra kumar

नमस्कार दोस्तों , में Shelendra Kumar (Founder of healthhindime.com ) हिंदी ब्लॉग कॉन्टेंट राइटर हूँ और पिछले 4 वर्षो से हेल्थ आर्टिकल्स के बारे में ब्लॉग लिख रहा हूँ मेरा उद्देस्य लोगो को हेल्थ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना हैं

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