सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 इंच लम्बी गिलोय लेकर 400 मिली पानी में उबालें, 100 मिली रहने पर पिएं। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
5 से 7 गिलोय के तने को 400 मिली पानी में उबाल लें, फिर 100 मिली शेष रहने पर छानकर गुनगुना होने पर प्रातः एवं सांय खाली पेट सेवन करने से अम्लपित्त में लाभ होता है
गिलोय के 8-10 पत्तों को 400 मिली पानी में उबालें, फिर 100 मिली शेष रहने पर छानकर गुनगुना होने पर प्रातः एवं सायं खाली पेट सेवन करने से रक्ताल्पता और वातरक्त (गठिया वात) में लाभ होता है।
आधा चम्मच गिलोय पत्तियों के चूर्ण में आधा चम्मच शतावरी चूर्ण मिलाकर आधा गिलास पानी में 5-10 मिनट तक उबालकर छानकर गुनगुना प्रातः एवं सायं खाली पेट सेवन से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।
गिलोय की ताजी डण्डियों (तने) के 2-3 छोटे टुकड़े कर 400 मिली पानी में चतुर्थांश शेष रहने तक उबालें फिर इसे छानकर गुनगुना कर प्रातः एवं सायं खाली पेट सेवन करने से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और डेंगू फीवर में लाभ होता है