Diarrhea: डायरिया का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट

किसी व्यक्ति को जब सामान्य की अपेक्षा अधिक मात्रा में बार बार तरल रुप में मल त्याग होते लगे तो उसे ‘दस्त’ या Diarrhea अतिसार (डायरिया) कहा जाता है। इस लेख में आपक आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट व डाइट प्लान बताया जा रहा है।

आँतों की पुरःसरण गति का एकाएक तीव्र हो जाना, आँतों में भोजन का पर्याप्त रूप में अवशोषण ना हो पाना या आँत की अवशोषण शक्ति का कम होना, इन सभी कारणों से अन्तड़ियों में अधिक मात्रा में तरल उत्पन्न होकर संचित होने लगता है, जो अन्ततः अतिसार Diarrhea का कारण बनता है।

डायरिया के प्रमुख कारण ( reason for diarrhea )

  • आमाशय या आंतों अथवा पाचन क्रिया की कमजोरी, अधिक मात्रा में तले-भुने, वसा युक्त देर से पचने वाले भारी आहार का सेवन, दूषित पानी या खाद्य पदार्थ (जंकफूड फास्ट फूड व स्ट्रीट फूड) का सेवन, कच्चे व अधपके फल व साग-सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन, बासी खाना, आँतों में उत्तेजना पैदा करने वाले तत्वों का पहुँचना, बार-बार विरेचक (कब्ज-नाशक) दवाओं का सेवन करते रहना, पित्त अधिक मात्रा में बनकर आँतों में पहुँचना, बरसाती मौसम का संक्रमण जन्य आंत्र शोथ और अधिक मात्रा में तरल या श्लेष्मा उत्पन्न होने लगना। इन सभी कारणों से बार-बार दस्त आने लगते हैं। छोटे बच्चों में दाँत निकलने के दौरान भी अतिसार (डायरिया) की स्थिति बनी रहती है।

  • आमाशय या अन्तड़ियों के घाव, आमाशय, लिवर एवं आंत्र संस्थान के रोग, बवासीर, भगन्दर, अग्न्याशय की पुरानी शोध (सूजन), आंत्रपुच्छ शोध (अल्सरेटिव कोलाइटिस, पेप्टिक अल्सर) बड़ी आँत की सूजन, संग्रहणी (स्पू) आदि भी डायरिया के ही कारण होते हैं।

  • ताँबे, पीतल या एल्युमीनियम के बरतन में अधिक समय तक भोजन को रखकर छोड़ने या दूध के तुरन्त बाद ही नींबू पानी पीने से उत्पन्न हुई खनिज विषाक्तता व भूल वश किसी प्रकार के विषैले आहार का सेवन या बेमेल खाद्यों का सेवन या कुछ वेगों को रोकने से पेट रोग और डायरिया होने के चांसेज ज्यादा हो जाते हैं।

डायरिया के प्रकार ( Types of diarrhea )

डायरिया diarrhea की दो स्थितियाँ होती हैं एक जिसमें दिन में 5 बार से अधिक मल त्याग करना पड़ता है दूसरा आनुपातिक diarrhea में व्यक्ति सामान्यतः जितनी बार मल त्यागता है उससे कुछ अधिक बार मल त्याग करना पड़ता है।

लिवर या अग्न्याशय दोषजन्य अतिसार ( liver or pancreas dysfunctional diarrhea)

लिवर में विकार उत्पन्न हो जाने के कारण डायरिया हो जाता है। इसमें लिवर के स्थान पर प्रायः धीमा दर्द बना रहने लगता है। रोगी को दुर्गन्ध युक्त मल आता है। मूत्र का रंग भी मल के साथ कुछ बदल जाता है। यद्यपि इस रोग में मरोड़ नहीं होते, किन्तु रोगी दिनों-दिन कमजोर होने लगता है। अग्न्याशय विकार यथा- अग्न्याशय शोथ या अग्न्याशय ट्यूमर के बन जाने से भी व्यक्ति को बार-बार मल आने लगता है।

लक्षण diarrhea symptoms

  • अतिसार का मुख्य लक्षण और कभी कभी अकेला लक्षण, विकृत दस्तों का बार बार आना होता है। तीन दशाओं में पेट के समस्त निचले भाग में दर्द तथा बेचैनी प्रतीत होती है। डिहाइड्रेशन की भयंकर दशा उत्पन्न हो सकती है। तथापि अतिसार की सभी अवस्थाओं में मल के साथ ना तो पस (आँव) मिश्रित होकर आती है और ना ही खून आता है।

  • पेट में दर्द, ऐंठन।

  • मुँह से बदबू आती है।

  • निर्जलीकरण (डिहाईड्रेशन) की स्थिति में पानी, खनिज लवणों और अन्य पोषक तत्त्वों की कमी होती है

  • जीभ गंदी और उसके ऊपर सफेद रंग की परत-सी जमने लगती है। रोगी की भूख समाप्त हो जाती है।

  • कमजोरी बहुत आती है, पिंडलियाँ दर्द करती हैं, तापमान थोड़ा बढ़ जाता है, परन्तु ज्यादा दस्त होने पर शारीरिक तापमान सामान्य से कम रहने लगता है।

  • दुर्गन्ध युक्त दस्त आना। दस्त की तीव्रता में कई बार वमन (उल्टी) भी होती है। ऐसा संक्रमण जन्य अतिसार या आमाशय में रूकावट आने से होता है।

अतिसार की जीर्ण अवस्था में रोगी अत्यंत कमजोर, उसमें खून की कमी के लक्षण, आँखें अन्दर धँसी हुई, जीभ लाल, हृदय की धड़कन तेज होना जैसे अनेक लक्षण देखने को मिलते हैं। इनके अतिरिक्त रोगी में लिवर वृद्धि, प्लीहा वृद्धि (तिल्लो बढ़ना), साँस लेने में कठिनाई आदि के लक्षण भी मिल सकते हैं।

चिकित्सा ( Treatment of diarrhea )

डायरिया उग्र (एक्युट) या जीर्ण (क्रोनिक) हो सकता है और प्रत्येक प्रकार के डायरिया के भिन्न-भिन्न कारण और इलाज होते हैं। डायरिया से उत्पन्न जटिलताओं में निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन), इलैक्ट्रो-लाइट (खनिज) असामान्यता और मलद्वार में जलन, शामिल है। डिहाइड्रेशन को ORS घोल की सहायता से कम किया जा सकता है और आवश्यक हो तो अंतः शिरा द्रव्य (ग्लूकोज) की मदद भी ली जा सकती है। कारण को जानकर उसी के अनुसार विशिष्ट चिकित्सा करने से लाभ हो सकता है। रोगी को पूर्ण विश्राम देना तथा क्षोभक आहार बिल्कुल रोक देना आवश्यक है।

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shelendra kumar

नमस्कार दोस्तों , में Shelendra Kumar (Founder of healthhindime.com ) हिंदी ब्लॉग कॉन्टेंट राइटर हूँ और पिछले 4 वर्षो से हेल्थ आर्टिकल्स के बारे में ब्लॉग लिख रहा हूँ मेरा उद्देस्य लोगो को हेल्थ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना हैं