Postpartum hemorrhage पीपीएच (PPH) को समझना जरुरी है

अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो पीपीएच यानी Postpartum hemorrhage के जोखिमों के बारे में पहले से जान लें। Postpartum hemorrhage यानी प्रसवोत्तर रक्तस्राव प्रसव की एक ऐसी समस्या है, जो बच्चे के जन्म के बाद शुरू होती है। जब प्लेसेंटा वजाइना से बाहर निकलता है तो अधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है। बच्चे के जन्म के बाद अधिक मात्रा में शरीर से खून निकलने की क्रिया को पोस्टपार्टम हेमरेज Postpartum hemorrhage (पीपीएच) कहते हैं। दुनिया में मां बनने वाली 100 महिलाओं में 1 से 5 में यह बीमारी होती है। Postpartum hemorrhage शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब महिला की वजाइनल डिलीवरी के वक्त 500 मिली और सी-सेक्शन के बाद 1000 मिली खून बह जाता है। अगर ब्लड लॉस डिलीवरी के 24 घंटे के अंदर हो तो इसे प्राइमरी पीपीएच कहते हैं। 24 घंटे से 6 सप्ताह के बाद तक होने वाले अनियंत्रित रक्तस्राव को माध्यमिक पीपीएच Postpartum hemorrhage कहा जाता है। इससे होने वाली अधिकांश मौतें जन्म के बाद पहले 24 घंटों में होती हैं, लेकिन समय पर उचित इलाज से इसे रोका जा सकता है।

क्या है वजह Reasons for Postpartum hemorrhage

बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय सिकुड़ता है और प्लेसेंटा को बाहर धकेलता है। नाल के बाहर आने के बाद यह संकुचन उस क्षेत्र में रक्तस्राव वाहिकाओं पर दबाव डालता है, जहाँ नाल जुड़ी थी। यदि गर्भाशय दृढ़ता से नहीं सिकुड़ता है तो रक्त वाहिकाओं से खून बहने लगता है। यह इस बीमारी का सबसे आम कारण है। इसके अलावा पीपीएच कुछ अन्य कारणों से भी हो सकता है। मसलन जख्म होना, योनि के गर्भाशय ग्रीवा या ऊतकों का छोजना (पानी निकलता), गर्भाशय में एक रक्त वाहिका का छोजना, हेमेटोमा का गठन, गर्भाशय का उल्टा होना, नाल की समस्या

किसको होता है खतरा Who is at risk Postpartum hemorrhage

पीपीएच का खतरा बढ़ाने के लिए कई हालात जिम्मेदार होते हैं। मसलन- गर्भाशय से नाल की शुरुआती टुकड़ी अपरा संबंधी परेशानी, प्लेसेंटा प्रीविया यानी जब प्लेसेंटा कवर होता है या गर्भाशय ग्रीवा के मुहाने के पास होता है, अधिक विकृत गर्भाशय यानी अधिक एमनियोटिक द्रव या बच्चा बड़ा होने की वजह से गर्भाशय बड़ा होता है, जुड़वा या तीन धूण संक्रमण, मोटापा 40 वर्ष से अधिक आयु, उच्च रक्तचाप, पिछले बच्चे के जन्म के समय लगातार श्रम और सिजेरियन डिलीवरी

सवाल है, कैसे पहचानें?

पीपीएच होने पर डिलीवरी के बाद महिला का शरीर कमजोर हो जाता है। इस दौरान महिला को कुछ लक्षण भी दिख सकते हैं। जैसे- डिलीवरी के बाद अधिक रक्तस्राव, दिल की धड़कन में वृद्धि रक्तचाप में कमी, चक्कर आना या बेहोशी, योनि और आस-पास की जगह पर सूजन व दर्द, जो मिचलाना, लाल रक्त कोशिकाओं में कमी।

अब इलाज की बारी

ब्लड प्रेशर चेक करने के बाद डॉक्टर यह जांच करते हैं कि रक्त किन कारणों से बह रहा है और कितना वह चुका है? फिर जल्द से जल्द रक्तस्राव रोकने की कोशिश की जाती है। साथ ही गर्भाशय की मालिश और उसको संकुचित करने की दवाएं दी जाती है। बच्चे को स्तनपान कराने से निप्पल उत्तेजित होता है, जो ऑक्सीटोसिन छोड़ता है और जिससे गर्भाशय सिकुड़ता है। गर्भाशय से प्लेसेंटल बिट्स निकाला जाता है। रक्तस्त्राव वाहिकाओं पर गर्भाशय के अंदर दबाव डालने के लिए बैलून टैपोनेड का उपयोग किया जाता है। अगर गर्भाशय में प्लेसेंटा का हिस्सा रह गया हो तो उसे सर्जरी के माध्यम से हटाना पड़ता है। अगर तब भी ब्लीडिंग नहीं रुकती है तो डॉक्टर अंतिम कदम उठाते हुए गर्भाशय को पूरी तरह से हटा देते हैं।

कुछ जरुरी बातें

● गर्भवती होने पर अच्छा और संतुलित आहार से भरपूर मात्रा में प्रोटीन, आयरन कैल्शियम युक्त भोजन आपका स्टेमिना बढ़ाएगा।
● हीमोग्लोबिन के लिए डॉक्टर के बताए सप्लीमेंट के साथ आयरन और प्रोटीन युक्त आहार है।
● दो शिशुओं के बीच 2-3 साल का अंतर।
● अस्पताल को सावधानी से चुनें। वहां 24 घंटे स्त्री रोग विशेषज्ञ नियोनेटोलॉजिस्ट एनेस्थेटिस्ट और कर्मचारी उपलब्ध होने चाहिए। ब्लाइ बैंक और परिवहन की सुविधा होनी चाहिए।

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shelendra kumar

नमस्कार दोस्तों , में Shelendra Kumar (Founder of healthhindime.com ) हिंदी ब्लॉग कॉन्टेंट राइटर हूँ और पिछले 4 वर्षो से हेल्थ आर्टिकल्स के बारे में ब्लॉग लिख रहा हूँ मेरा उद्देस्य लोगो को हेल्थ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना हैं

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