मुक्ता शुक्ति भस्म के फायदे व अन्य जानकारी || muktashukti bhasma uses in hindi

मुक्ता शुक्ति भस्म के फायदे व अन्य जानकारी || muktashukti bhasma uses in hindi

    नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए एक महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आए हैं जिसका नाम मुक्ताशुक्ति भस्म (muktashukti bhasma uses in hindi) है। दोस्तों आज हम आपको एक आयुर्वेदिक औषधि के बारे में बताएंगे जिसका नाम है मुक्ताशुक्ति भस्म। दोस्तों यह औषधि विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज के लिए काम आता है तथा इसमें विभिन्न प्रकार के गुण पाए जाते हैं।

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दोस्तों यह पूरी तरीके से आयुर्वेदिक दवा पद्धति पर आधारित प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बना है तो दोस्तों यदि आप मुक्ताशुक्ति भस्म (muktashukti bhasma) के बारे में तथा उसके प्रयोग के बारे में जानना चाहते हैं।

तो हमारे साथ अंत तक बने रहिए इसके अंतर्गत हम आपको मुक्ताशुक्ति भस्म के विभिन्न प्रयोगों और रोगों के इलाज और उस में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण तत्व के बारे में बताएंगे। तो दोस्तों आयुर्वेदिक औषधि के बारे में जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहिए।

मुक्ता शुक्ति भस्म क्या है?

मुक्ताशुक्ति भस्म (muktashukti bhasma in hindi) प्राकृतिक तत्वों से बना एक आयुर्वेदिक औषधि है। जो विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में काम आती है। जैसे – खासी, नेत्रदाह, उदरवात, यकृतसूल, निर्बलता, अरुचि, पित्तज वमन, अम्ल पित्त, पित्तज गुल्म आदि रोगों के उपचार में मदद मिलता है।

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मुक्ता शुक्ति भस्म बनाने की विधि

शुद्ध मोती की सीप के ऊपर लगे हुए उज्जवल (सफेद) भाग को हांडी (हड़िया) में एलोवेरा का गूदा ऊपर नीचे रख कर सम्पुटकर गजपुट दें। ठंडा होने पर उसे निकालकर नींबू के रस में 6 घंटे खरलकर टिकिया बांधकर संपुटकर गजपुट देने से मुलायम सफेद रंग की उत्तम भस्म बन जाती है।

मुक्त शुक्ति भस्म के फायदे : muktashukti bhasma ke fayde

मुक्ताशुक्ति भस्म बुखार, खांसी, नेत्रदाह, उदरवात, पित्तज गुल्म, श्वास, पित्त प्रधान अरुचि, पित्तज परिणाम शूल, यकृत शूल, पित्तज वमन, पित्ता तिसार, अम्लपित्त, रक्त प्रदर, निर्बलता को दूर करती है। मुक्ताशुक्ति (muktashukti bhasma) औषधि में कई प्रकार के गुण होते हैं। जो विभिन्न प्रकार से हमारे लिए फायदेमंद होते हैं।

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मुक्ताशुक्ति भस्म का उपयोग muktashukti bhasma benefits in hindi

(1) मुक्ताशुक्ति भस्म का प्रयोग पित्ता तिसार (दस्त) होने तथा दस्त का रंग पीला, नीला, लाल नीला होने तथा बार बार चक्कर आना, मूर्छितहोने, त्वचा का फटना, फुंसियों का निकलना आदि लक्षण हो तो मुक्ताशुक्ति भस्म देना चाहिए। यह इन सभी रोगो के लिए एक प्रमुख ईलाज है।

(2) मूत्र नलिका तथा दांत या अन्य किसी मार्ग से रक्त का स्त्राव होने पर मुक्ताशुक्ति (muktashukti bhasma) भस्म को दिया जा सकता है। इस भस्म के इस्तेमाल से रक्त के स्त्राव जैसे बीमारियों से बचा जा सकता है। जो इन रोगो को बहुत ही जल्दी खत्म कर देती है।

(3) मुक्ताशुक्ति भस्म के इस्तेमाल से अरुचि, मुंह से दुर्गंध आना, मुंह कड़वा, खट्टा या खारा हो जाना, मुंह में गर्म गर्म भाप निकलना आदि इन सभी रोगो तथा इसके दुष्परिणामों से राहत मिलता हैं।

(4) मुक्ताशुक्ति भस्म पित्त और कफ, रक्त, मांस, अस्थि, अमाशय, यकृत, प्लीहा के दुष्परिणामों से भी राहत दिलाता है। इसलिए हमे इन सभी बीमारी के लिए मुक्ताशुक्ति भस्म का सेवन करना चाहिए।

(5) मुक्ताशुक्ति भस्म (muktashukti bhasma) का इस्तेमाल त्वचा पर होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है। यदि त्वचा पर फोड़े फुंसी या खुजली या जलन होती है तो हम मुक्ताशुक्ति भस्म का इस्तेमाल कर इन सभी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

(6) मुक्ताशुक्ति भस्म का इस्तेमाल और सेवन करने से हमारे शरीर में पाचन तंत्र मजबूत रहता है तथा मुक्ताशुक्ति भस्म में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो हमारे हड्डियों के विकास और मजबूत बनाने में सहायता प्रदान करते हैं।

(7) पेट साफ रखने, मुँह की दुर्गंध मिटाने, तथा गैस की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मुक्ताशुक्ति भस्म का बहुत बड़ा उपयोग होता है। मुक्ताशुक्ति भस्म के उपयोग से हम स्वस्थ रहते है और मुंह में दुर्गंध नहीं आती, गैस की समस्या और पेट साफ रहता है जिससे हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं।

(8) दस्त उल्टी और उनींदापन की रोकथाम, हृदय स्वास्थ्य में सुधार, एसिडिटी से तुरंत राहत आदि के लिए हमें मुक्ता शुक्ति भस्म का प्रयोग करना चाहिए। जिससे हम इन सभी समस्याओं से जल्द ही छुटकारा पा सके। मुक्तशुक्ति भस्म में अनेक प्रकार के तत्व और मिनरल्स पाए जाते हैं। जो हमें इन समस्याओं से निजात दिलाती हैं।

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मुक्ताशुक्ति भस्म का उपयोग विधि

मुक्ताशुक्ति भस्म का प्रयोग बहुत ही सावधानी पूर्वक करना चाहिए तथा डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए। अलग-अलग उम्र के व्यक्तियों में इसका अलग अलग तरह से सेवन करना होता है।

एक व्यक्ति को 150 से 500 मिलीग्राम लाभदायक है। बच्चों में 125 ग्राम से 250 ग्राम सुरक्षित है तथा 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में इस दवा की खुराक 125 से 250mg लाभदायक है। इस भस्म का सेवन डॉक्टर की सलाह से करनी चाहिए।

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निष्कर्ष

तो दोस्तों आज हमने आपको मुक्ताशुक्ति भस्म के बारे में सारी जानकारी दे दी है। दोस्तो मुक्ताशुक्ति भस्म आपको कई प्रकार के बीमारी में लाभदायक साबित हो सकता है। यदि आपको स्वास्थ्य से सम्बंधित कोई समस्या हो तो आप डॉक्टर की सलाह से मुक्ताशुक्ति भस्म (muktashukti bhasma in hindi) का इस्तेमाल कर सकते है। दोस्तों यदि आपको हमारा यह टॉपिक अच्छा लगा हो तो लाइक और कमेंट जरूर करें धन्यवाद।

shelendra kumar

नमस्कार दोस्तों , में Shelendra Kumar (Founder of healthhindime.com ) हिंदी ब्लॉग कॉन्टेंट राइटर हूँ और पिछले 4 वर्षो से हेल्थ आर्टिकल्स के बारे में ब्लॉग लिख रहा हूँ मेरा उद्देस्य लोगो को हेल्थ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना हैं

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