रोग अनुसार पतंजलि हवन सामग्री Patanjali Hawan samagri
यज्ञ हमारी भारतीय संस्कृति का मूल हैं । यज्ञ से भौतिक और आध्यात्मिक लाभ होता हैं प्राचीन काल से रोग निवारण के लिए यज्ञ किए जाते रहे हैं। पतंजलि ने भी रोग निवारण के लिए अलग अलग रोगों के लिए अलग अलग हवन सामग्री hawan samagri त्यार की हैं
1. Prarabdheshti hawan samagri प्रारब्धेष्टि
प्रारब्धदोष तथा संस्कार जनित दोषों को दूर करने में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत Hawan samagri हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी चूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
2. मेधेष्टि Medheshti hawan samagri
तनाव, अनिद्रा, सिरदर्द, स्मृतिदौर्बल्य, मिर्गी, पागलपन, पैरालाइसिस, पारकिंसन आदि मस्तिष्क रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहूति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दे।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी पूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
यह भी देखें : तुलसी घनवटी के फायदे और नुकसान || tulsi ghanvati patanjali benefits in hindi
3. प्राणेष्टि PRANESHTI hawan samagri
ऑटोइम्यून और वंशानुगत रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुल हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
4. वातेष्टि VATESHTI hawan samagri
गठिया, जोड़ों का दर्द, जकड़न, सर्वाइकल, सियाटिका आदि वातज रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
5. चर्मेष्टि CHARMESHTI hawan samagri
दाद, खाज, स्किन एलर्जी, सफेद दाग, एक्जिमा, सोरायसिस आदि त्वचा रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोधृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कछ में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
औषधीय घूम रमान, यज्ञ गरम सेवन व लेपन भी स्किन डिजीज में लाभदायक होता है ।
यह भी देखें : पतंजलि आरोग्य वटी के फायदे और नुकसान || patanjali arogya vati uses in hindi
6. हृदयेष्टि HRIDAYESHTI Hawan samagri
हार्टबीट, बी.पी., कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड आदि हृदय संबंधी रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह ग्राम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करे। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा इनके पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
7. सन्ततीष्टि SANTATEESHTI Hawan samagri
निःसंतानता, बन्ध्यत्व तथा प्रजनन तंत्र संबन्धित विकारों को दूर कर स्पर्म एवं ओवम के पोषण में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोजानुसार योगाभ्यास करें।
8. कर्कटेष्टि KARKATESHTI Hawan samagri
कैंसर तथा गाँठ में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियाँ व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
यह भी देखें : दिव्य वृक्कदोषहर वटी फायदे और सेवन विधी || vrikkdoshhar vati uses in hindi
9. मधु-इष्टि MADHUISHTI Hawan samagri
टाइप-1, टाइप-2 मधुमेह में लाभदायक।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दें।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि द्रव्यों को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
10. कफेष्टि COUGHESHTI Hawan samagri
दमा, श्वास, स्वरभेद, नजला, साइनस, खांसी आदि कफज रोगों में लाभप्रद ।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21, 51 या 108 आहूतियां मंत्रोचारण पूर्व प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दे ।
● कक्ष में हवन करते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखे तथा हवन के के पश्चात शांत अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी- बूटियां व गुग्गुल आदि को रखे और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
11. पित्तेष्टि PITTESHTI Hawan samagri
एसिडिटी, अधिक गर्मी, अधिक पसीना व शरीर से दुर्गेच आना, त्वचा-आँख-छाती आदि में जलन, अधिक फील-मुहांसे आदि पित्तज रोगों में लाभदायक
प्रयोग विधि
● सुबह-शाम प्रस्तुत हवन सामग्री से रोग की अवस्थानुसार 21.51 या 108 आहुतियां मंत्रोच्चारण पूर्वक प्रदान करें। प्रत्येक आहुति में 2 से 3 ग्राम गोघृत के साथ उसी अनुपात में सामग्री की भी आहुति दे।
● कछ में हवन करते समय खिड़की दरवाजे खुले रखें तथा हवन के पहचा शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत जड़ी-बूटियों व गुग्गुल आदि प्रव्यों को रखें और उठ रही मंद जी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
12. दिव्येष्टि DIVYESHTI Hawan samagri
संपूर्ण आरोग्य, घर में सुख-शांति व वातावरण को शुद्ध करने हेतु दिव्येष्टि से धुपन करें।
प्रयोग विधि
● प्रतिदिन सुबह-शाम हवन के पश्चात् शांत-अग्नि के अंगारों पर प्रस्तुत दिव्येष्टि को रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
13. गुग्गुल GUGGUL samagri
त्रिदोषशामक, पुष्टिकारक, बलकारक, हृदय, कण्ठकारक आदि।
प्रयोग विधि
● हवन करने के पहचात् शांत-अग्नि के अंगारों पर आवश्यकतानुसार गुग्गुल रखे व उठ रही धुनी को घर में फैलने दें व उस वायुमंडल में रोगानुसार योगाभ्यास करें।
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