ताम्र सिन्दूर के फायदे और बनाने की विधि || Tamra Sindoor Uses in Hindi
ताम्र सिन्दूर के फायदे और बनाने की विधि || Tamra Sindoor Uses in Hindi
नमस्कार दोस्तों तो कैसे है आप लोग हमे उम्मीद है की आप जहाँ कही भी होंगे अच्छे ही होंगे। दोस्तों आज फिर हम आप के लिए एक नया टॉपिक लेकर आये है जिसका नाम है Tamra sindoor (ताम्र सिन्दूर). दोस्तों आज हम आपको ताम्र सिन्दूर के बारे में सारी जानकारी देंगे। जैसे – Tamra sindoor क्या होता है, यह किस काम में आता है, तथा यह कैसे बनता है, आदि।
दोस्तों ताम्र सिन्दूर एक आयुर्वैदिक औसधि है जो कई प्रकार के रोगो के ईलाज में इस्तेमाल किया जाता है यह संपूर्ण रुप से प्राकृतिक जड़ी बूटियों से मिलकर बना है।
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ताम्र सिन्दूर क्या होता है Tamra Sindoor in Hindi
ताम्र (तांबा), पारद और गंधक के मिश्रण से बनी इस औषधि को ताम्र सिन्दूर कहते हैं। इसका उपयोग रक्त विकारों के कारण होने वाले विकारों में किया जाता है। यह पेट और लीवर के लिए बहुत ही उपयोगी रसायन है। यह महिलाओं में मासिक धर्म में रुकावट की समस्या में बहुत असरदार दवा के इस्तेमाल को भी कम करता है।
जैसा कि नाम से आपको लग रहा है कि ताम्र सिंदूर तांबे से बनी एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह रसायन एक बहुत ही कारगर औषधि है जिसका प्रयोग पेट और यकृत विकारों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस लेख में आप तांबे के सिंदूर के घटकों के बारे में जानेंगे कि इसे कैसे बनाया जाता है और इसके क्या फायदे हैं।
ताम्र सिन्दूर के घटक Tamra sindoor ingredients
इसमें शुद्ध तांबे की मात्रा 5 तोला होता है और शोधित गंधक की मात्रा 10 तोला होता है तथा शुद्ध पारा की मात्रा 10 तोला होता है।
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ताम्र सिन्दूर बनाने की विधि
(1) इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारे और गंधक की कजली बना लें।
(2) अब तांबे के तारों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें।
(3) कज्जली के टुकड़े और तांबे के तार को बोतल में डाल दें।
(4) इस शीशी को सैंडब्लास्टर में डालकर आग लगा दें।
(5) लगातार 36 घंटे तक गैस पर रखने के बाद इसे उतार लें।
(6) शीशी को ठंडा होने पर तोड़ लें।
(7) इसके मुंह पर तांबे का सिंदूर लगाया जाता है, इसे उतारकर सुरक्षित रख लें।
(8) शीशी के तले में तांबे की राख होती है, इसे थोड़ा और गर्म करके तैयार किया जा सकता है।
(9) इस तरह करीब 36 घंटे तक गैस पर चढ़ाने के बाद तांबे का सिंदूर तैयार है।
अगर आपने आज से पहले कभी ताम्र सिन्दूर (Tamra sindoor) को नहीं बनाया है या आपने इसको बनाते हुए नहीं देखा है तो इंटरनेट से जानकारी हासिल करके खुद से बनाने का प्रयास ना करें। यदि आप खुद से प्रयास करते हैं तो आपको किसी प्रकार की हानि हो सकती है।
ताम्र सिन्दूर सेवन करने की विधि और मात्रा
यह अत्यधिक उष्ण वीर्य (गर्म वीर्य) रसायन होता है। इसकी सिर्फ एक से दो रत्ती की मात्रा का ही उपयोग किया जाता है। इसका सेवन पान या तुलसी के पत्तो के रस के साथ किया जा सकता है। शहद के साथ भी इसका सेवन कर सकते हैं। शहद के साथ इसका सेवन करना ज्यादा फायदेमंद करता है।
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ताम्र सिन्दूर के फायदे तथा उपयोग tamra sindoor benefits in hindi
सल्फर, पारा और तांबे से बना यह रसायन गर्म वीर्य है। ताँबे के सिंदूर (Tamra sindoor) का उपयोग यकृत विकारों और रक्त विकारों के कारण होने वाले रोगों में किया जाता है। यह यकृत, प्लीहा रोग और अपच को ठीक करता है और एक सुस्त रसायन है। आंतों में होने वाले तपेदिक में भी इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। यह चर्म रोगों में भी लाभकारी होता है। आइए जानते हैं रोग के अनुसार इसके फायदे
(1) पेट के विकारों में Tamra sindoor
यह एक ऐसा रसायन है जो पेट, रिसेप्टर को मजबूत करता है और कीटाणुओं को नष्ट करता है। पेट में कैंसर होने पर इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। यह आंतों की वात नसों की जलन को दूर कर दर्द को कम करता है।
(2) हैजा रोग में तांबे के Tamra sindoor
हैजा रोग लीवर से संबंधित समस्या है। जब हैजा की स्थिति हो, जिससे हृदय कमजोर हो गया हो, नाड़ी कमजोर हो गई हो और शरीर ठंडा हो गया हो, तो जहर मोहरा खटाई को तांबे के सिंदूर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है। इसके सेवन से हैजा के कीटाणु मर जाते हैं और हाथ पैरों में ऐंठन भी कम हो जाती है।
(3) सूखी खांसी में Tamra sindoor
जब कफ सूखकर छाती में फंस जाता है तो रोगी को बहुत दर्द होता है। बहुत खांसने के बाद भी कफ नहीं निकलता और इस वजह से सांस लेने में तकलीफ भी होने लगती है।
इस अवस्था में तांबे के सिंदूर की आधी रत्ती, प्रवल भस्म की एक रत्ती और सितोपलादि चूर्ण के दो टुकड़े लेकर च्यवनप्राश या शहद के साथ चाटे। ऊपर से द्राक्षरिष्ट के दो तोले बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सेवन कर सकते है।
(4) उल्टी रोकने के लिए Tamra sindoor
उल्टी की गंभीर अवस्था होने पर यानि उल्टी बहुत तेज आने लगती है, कुछ भी खाते ही उल्टी हो जाती है। ऐसे में तांबे के सिंदूर की एक रत्ती, मयूरचंद्रिका भस्म की दो रत्ती और पीपल की छाल की चार रत्ती शहद के साथ चाटने के लिए दें। इससे शीघ्र लाभ होता है।
(5) रजोनिवृत्ति विकार में महिलाओं के लिए तांबे के सिंदूर के फायदे
कई बार महिलाओं में खून अन्य कारणों से भी रुक जाता है। जब मासिक धर्म नहीं आता है तो पेट और छाती में तेज दर्द होता है और महिला सिसकने लगती है। ऐसे में तांबे के सिंदूर की एक रत्ती को सोंठ और दालचीनी के चूर्ण के साथ लेने से बहुत लाभ होता है। कुमार्यासव भी ऊपर से देना चाहिए।
(6) अपच/मिर्गी में Tamra sindoor
तंत्रिका तंत्र और मानसिक विकारों के कारण मिरगी के दौरे डिस्पेनिया जैसी बीमारियों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। ऐसे में मरीज को दौरे के दौरान बेहोशी, बड़बड़ाहट, मुंह से झाग आने जैसी समस्या होती है। इस समय रोगी को तांबे के सिंदूर की एक रत्ती, आधा चूहा लोहे की राख में शहद मिलाकर चाटें और मांस को दें।
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नुकसान और सावधानियां
यह दवा खनिज राख से बनी होती है और बहुत गर्म होती है। लंबे समय तक इसका सेवन करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर के बताए अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
दोस्तो हमने आपको ताम्र सिन्दूर के बारे में सारी जानकारी दे दी है। हमे उम्मीद है की यह टॉपिक आपको अच्छी लगी होगी। दोस्तों यदि आपको भी इन बीमारी सम्बंधित ईलाज की जरुरत है तो आप आयुर्वैदिक दवाओं को जरूर अपनाये धन्यवाद।
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